Wednesday, October 18, 2017

दीपावली की ह्रदय से सुभ कामनाये।

आप को दीपुत्सव दीपावली की ह्रदय से सुभ कामनाये। इस दीवाली प्रार्थना करता हूँ कि हम सब राम राज्य में दर्शाया गया जीवन यापन कर संके। 

हिन्दू संस्कृति में राम द्वारा किया गया आदर्थ शासन रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूपक(प्रतीक) के रूम में किया जाता है।

रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की चाह थी। गांधीजी ने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की कल्पना की थी।

राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।।बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा।।अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।।नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।।सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।।राम राज नभगेस सुनु सचराचर जग माहिं।काल कर्म सुभाव गुन कृत दुख काहुहि नाहिं।।(रा•च•मा• 7। 20। 7–8; 21। 1¸ 5–6¸ 8; 21)
वाल्मीकि रामायण में भरत जी रामराज्य के विलक्षण प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "राघव! आपके राज्य पर अभिषिक्त हुए एक मास से अधिक समय हो गया। तब से सभी लोग निरोग दिखाई देते हैं। बूढ़े प्राणियों के पास भी मृत्यु नहीं फटकती है। स्त्रियां बिना कष्ट के प्रसव करती हैं। सभी मनुष्यों के शरीर हृष्ट–पुष्ट दिखाई देते हैं। राजन! पुरवासियों में बड़ा हर्ष छा रहा है। मेघ अमृत के समान जल गिराते हुए समय पर वर्षा करते हैं। हवा ऐसी चलती है कि इसका स्पर्श शीतल एवं सुखद जान पड़ता है। राजन नगर तथा जनपद के लोग इस पुरी में कहते हैं कि हमारे लिए चिरकाल तक ऐसे ही प्रभावशाली राजा रहें।"

रोशन अग्रवाल
सिद्धस्त आई पी इनोवेशन
झांसी उत्तरप्रदेश

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